UPA KYA HAI हिन्दी में पूरी जानकारी

 UPA क्या है?

📌 Table of Contents

  1. UPA का परिचय
  2. गठबंधन का गठन
  3. प्रमुख सहयोगी दल
  4. प्रथम कार्यकाल (2004-2009)
  5. द्वितीय कार्यकाल (2009-2014)
  6. नीतियां और उपलब्धियां
  7. विवाद और आलोचनाएं
  8. 2014 का चुनाव और हार
  9. UPA का पतन और पुनर्गठन
  10. UPA का वर्तमान महत्व

1. UPA का परिचय और फुल फॉर्म

United Progressive Alliance (UPA) एक भारतीय राजनीतिक गठबंधन है, जिसकी अगुवाई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) करती है। यह गठबंधन मुख्य रूप से धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील विचारधारा वाले दलों का समूह रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को टक्कर देना रहा है। 

A digital vector illustration symbolizing the United Progressive Alliance (UPA) in India, featuring the Ashoka Chakra, the Indian National Congress flag with a hand symbol, silhouettes of people representing coalition parties or voters, and a handshake depicting political alliance and unity.

UPA की स्थापना वर्ष 2004 में हुई थी, जब कांग्रेस पार्टी ने चुनाव में सबसे अधिक सीटें जीतने के बावजूद पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं किया। ऐसे में कई क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस का समर्थन करते हुए इस गठबंधन को जन्म दिया। यह गठबंधन भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।

इस गठबंधन ने भारत की राजनीति को एक नई दिशा दी। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने मिलकर एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार किया, जिसके तहत नीतियां और योजनाएं बनाई गईं। इस गठबंधन ने कई सामाजिक कल्याण योजनाओं को बढ़ावा दिया।

UPA का गठन देश की बहुलता और विविधता को ध्यान में रखते हुए किया गया था। इसने विभिन्न विचारधाराओं वाले दलों को एक मंच पर लाने का कार्य किया और देश के लोकतंत्र को मजबूत किया।

2. गठबंधन का गठन

UPA का गठन 2004 के आम चुनावों के परिणामों के बाद हुआ था। उस समय कांग्रेस पार्टी को सबसे अधिक सीटें मिली थीं, लेकिन बहुमत नहीं मिला था। ऐसे में कांग्रेस ने क्षेत्रीय दलों और वामपंथी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाने का निर्णय लिया।

इस गठबंधन में कांग्रेस के साथ-साथ DMK, RJD, NCP, TMC जैसे कई दल शामिल हुए। वामपंथी पार्टियों ने इस गठबंधन को बाहर से समर्थन दिया, जिससे यह सरकार स्थिर रूप से चल सकी। यह गठबंधन एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम के आधार पर बना।

गठबंधन के निर्माण में विचारधारा से अधिक चुनावी रणनीति का महत्व था। इसमें शामिल दलों ने अपने मतभेदों को दरकिनार कर सरकार बनाने का लक्ष्य रखा। यह भारतीय राजनीति में गठबंधन सरकारों की परंपरा को आगे बढ़ाने वाला कदम था।

गठबंधन के निर्माण ने यह भी दिखाया कि विविध राजनीतिक विचारधाराएं भी यदि लोकतंत्र की रक्षा और विकास के लिए साथ आएं, तो प्रभावशाली परिणाम ला सकती हैं। UPA ने यह करके दिखाया।

3. प्रमुख सहयोगी दल

UPA में अनेक प्रमुख राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल शामिल थे। इनमें राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), तृणमूल कांग्रेस (TMC) आदि उल्लेखनीय हैं। इन दलों का अपनी-अपनी राज्यों में मजबूत जनाधार था।

शुरुआत में वामपंथी दल जैसे कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) ने भी UPA को समर्थन दिया। यह समर्थन सरकार को स्थायित्व देने के लिए महत्वपूर्ण था। हालांकि बाद में यह समर्थन वापस ले लिया गया।

समय के साथ कई दलों ने गठबंधन छोड़ा भी और कुछ नए दल जुड़े भी। सहयोगी दलों की यह आवाजाही UPA की स्थिरता पर असर डालती रही। लेकिन कांग्रेस पार्टी गठबंधन की धुरी बनी रही।

UPA की सफलता इस बात पर निर्भर थी कि यह विभिन्न दलों के बीच संतुलन कैसे बनाए रखता है। सहयोगी दलों की भागीदारी ने सरकार को विविधता भरा स्वरूप दिया।

4. प्रथम कार्यकाल (2004-2009)

UPA का पहला कार्यकाल मनमोहन सिंह के नेतृत्व में शुरू हुआ, जो एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री रहे हैं। यह सरकार आर्थिक सुधारों और सामाजिक योजनाओं के लिए जानी गई। इस काल में कई ऐतिहासिक योजनाएं लागू की गईं।

इस कार्यकाल की सबसे उल्लेखनीय योजना थी - महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA)। इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सुनिश्चित किया गया।

इसके अलावा सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) भी इस काल में लाया गया, जिसने पारदर्शिता को बढ़ावा दिया। सरकार ने किसानों के लिए ऋण माफी योजना भी शुरू की।

हालांकि, इस दौरान कुछ छोटे-मोटे विवाद भी सामने आए लेकिन सरकार का कार्यकाल स्थिर और प्रभावी माना गया। वामपंथी दलों का बाहर से समर्थन इस सरकार को मजबूती प्रदान करता रहा।

5. द्वितीय कार्यकाल (2009-2014)

2009 के आम चुनावों में UPA को फिर से सफलता मिली और मनमोहन सिंह दोबारा प्रधानमंत्री बने। इस बार सरकार को पहले से ज्यादा सीटें मिलीं जिससे इसे और मजबूती मिली।

इस कार्यकाल में सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय पर ध्यान केंद्रित किया। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसे योजनाएं लाई गईं।

हालांकि, इस काल में कई घोटाले सामने आए—जैसे 2G स्पेक्ट्रम घोटाला और कोयला घोटाला। इससे सरकार की छवि धूमिल हुई।

फिर भी, सरकार ने विकास की दिशा में कई सकारात्मक कदम उठाए। आधार कार्ड की शुरुआत भी इसी काल में हुई जो आज डिजिटल इंडिया की नींव है।

6. नीतियां और उपलब्धियां

UPA ने अपने शासनकाल में कई ऐतिहासिक नीतियां लागू कीं। इनमें RTI Act, MNREGA, Right to Education Act और Aadhaar जैसी योजनाएं शामिल थीं।

सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में विकास, महिलाओं के सशक्तिकरण और अल्पसंख्यकों के उत्थान को प्राथमिकता दी। शिक्षा और स्वास्थ्य पर बजट बढ़ाया गया।

इसने आर्थिक विकास को भी बढ़ावा दिया और वैश्विक मंदी के दौर में भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखा।

UPA की नीतियों का मुख्य उद्देश्य समावेशी विकास था, जिसमें समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलना था।

7. विवाद और आलोचनाएं

UPA सरकार के दूसरे कार्यकाल में कई बड़े घोटाले सामने आए, जिनमें 2G, CWG और कोयला आवंटन घोटाले सबसे प्रमुख थे।

इन घोटालों ने सरकार की पारदर्शिता और ईमानदारी पर सवाल खड़े कर दिए। विपक्ष ने इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाया।

घोटालों के कारण सरकार की लोकप्रियता में गिरावट आई और जनता में असंतोष बढ़ा। अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने भी सरकार को घेरा।

इन घटनाओं से UPA की छवि को गहरा नुकसान हुआ और इसका असर 2014 के चुनाव परिणामों पर भी पड़ा।

8. 2014 का चुनाव और हार

2014 के आम चुनावों में UPA को भारी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बहुमत प्राप्त किया।

UPA की हार का मुख्य कारण जनता में भ्रष्टाचार और शासन के प्रति विश्वास की कमी थी। सरकार विरोधी लहर ने NDA को फायदा पहुँचाया।

कांग्रेस को इतिहास में पहली बार सबसे कम सीटें मिलीं। सहयोगी दल भी कमजोर प्रदर्शन कर पाए।

इस चुनाव परिणाम ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी और UPA के लिए आत्मचिंतन का अवसर प्रदान किया।

9. UPA का पतन और पुनर्गठन

2014 के बाद UPA लगभग निष्क्रिय हो गया और कई सहयोगी दल इससे अलग हो गए। कांग्रेस कमजोर स्थिति में आ गई।

हालांकि, कांग्रेस ने गठबंधन को फिर से सक्रिय करने की कोशिशें जारी रखीं। 2019 में भी UPA के बैनर तले चुनाव लड़ा गया।

लेकिन विपक्ष में होने के कारण इसकी भूमिका सीमित रही। धीरे-धीरे क्षेत्रीय दलों के साथ नए समीकरण बनते गए।

आज UPA की जगह नया गठबंधन INDIA का गठन हो चुका है, लेकिन UPA की ऐतिहासिक भूमिका अब भी याद की जाती है।

10. UPA का वर्तमान महत्व

हालांकि आज UPA का अस्तित्व उतना सक्रिय नहीं है, लेकिन इसकी ऐतिहासिक भूमिका भारतीय राजनीति में अहम रही है।

इसने दो बार केंद्र में सफलतापूर्वक सरकार चलाई और कई जन-कल्याणकारी योजनाएं लागू कीं।

UPA ने गठबंधन की राजनीति को मजबूत किया और विभिन्न दलों को एकजुट कर शासन का उदाहरण प्रस्तुत किया।

आज भी INDIA गठबंधन के ज़रिए UPA की नीति और अनुभवों को आगे बढ़ाया जा रहा है।

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❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q1: UPA की स्थापना कब हुई थी?

UPA की स्थापना 2004 के आम चुनावों के बाद हुई थी।

Q2: UPA का नेतृत्व किसने किया?

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने UPA का नेतृत्व किया और डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने।

Q3: UPA की प्रमुख योजनाएं कौन-सी थीं?

RTI Act, MNREGA, RTE Act, Aadhaar, और National Food Security Act इसकी प्रमुख योजनाएं थीं।

Q4: UPA को सबसे ज्यादा आलोचना किस मुद्दे पर झेलनी पड़ी?

भ्रष्टाचार के मामलों जैसे 2G और कोयला घोटाले पर UPA को भारी आलोचना झेलनी पड़ी।

Q5: क्या UPA अब भी सक्रिय है?

UPA अब सक्रिय नहीं है, उसकी जगह INDIA गठबंधन ने ले ली है, जिसमें कई पुराने सहयोगी दल शामिल हैं।

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