EEG का full form Electroencephalogram है। यह एक सरल, सुरक्षित, और दर्दरहित परीक्षण है, जो मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियों को मापने और रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में, मस्तिष्क से उत्पन्न होने वाले विद्युत संकेतों को रिकॉर्ड करने के लिए खोपड़ी पर छोटे-छोटे सेंसर लगाए जाते हैं। इन संकेतों को एक मशीन रिकॉर्ड करती है और डॉक्टर इनका विश्लेषण करते हैं। EEG के माध्यम से मस्तिष्क के कार्यों को समझने और विभिन्न तंत्रिका संबंधी विकारों का पता लगाने में मदद मिलती है।
सेंसर मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियों को संग्रहित करते हैं और उन्हें एक ग्राफ के रूप में रिकॉर्ड करते हैं। यह ग्राफ मस्तिष्क की तरंगों को दिखाता है।
मुख्य तरंगें निम्नलिखित हैं
डेल्टा वेव्स (Delta Waves): ये गही नींद के दौरान कार्य होती हैं।
थीटा वेव्स (Theta Waves): ये हल्की नींद या ध्यान की स्थिति में पाई जाती हैं।
अल्फा वेव्स (Alpha Waves): ये चांत और आरामक की स्थिति में देखी जाती हैं।
बीटा वेव्स (Beta Waves): ये सक्रिय चिंतन और मानसिक तनाव के दौरान में आक्रिय होती हैं।
EEG की प्रक्रिया
ईईजी की प्रक्रिया एक प्रशिक्षित क्लिनिकल न्यूरोफ़िज़ियोलॉजिस्ट द्वारा की जाती है। इसके तहत निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:
तैयारी:
मरीज को आरामदायक स्थिति में बैठाया या लेटाया जाता है।
खोपड़ी की त्वचा को साफ किया जाता है ताकि सेंसर बेहतर तरीके से विद्युत संकेतों को पकड़ सकें।
खोपड़ी पर विशेष जेल के साथ छोटे इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं।
रिकॉर्डिंग:
इलेक्ट्रोड मस्तिष्क से उत्पन्न विद्युत संकेतों को पकड़ते हैं और उन्हें मशीन तक पहुँचाते हैं।
यह प्रक्रिया 20 से 40 मिनट तक चल सकती है।
इस दौरान मरीज को शांत और स्थिर रहना होता है।
कभी-कभी, डॉक्टर मस्तिष्क की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए मरीज से गहरी साँस लेने या रोशनी की चमक देखने के लिए कह सकते हैं।
डेटा विश्लेषण:
रिकॉर्ड किए गए संकेतों को ग्राफ के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
डॉक्टर इन संकेतों का अध्ययन करके यह पता लगाते हैं कि मस्तिष्क में कोई असामान्य गतिविधि तो नहीं हो रही।
EEG के उपयोग
ईईजी का उपयोग कई चिकित्सा स्थितियों के निदान और उपचार के लिए किया जाता है। इसके कुछ प्रमुख उपयोग इस प्रकार हैं:
दौरे और मिर्गी का पता लगाना:
मिर्गी (Epilepsy) के मरीजों में मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियां असामान्य हो सकती हैं।
ईईजी डॉक्टरों को दौरे के प्रकार और उसकी गंभीरता को समझने में मदद करता है।
मस्तिष्क की कार्यक्षमता का आकलन:
यह परीक्षण मस्तिष्क की तरंगों (Brain Waves) के पैटर्न को ट्रैक करता है।
विभिन्न प्रकार की तरंगें – जैसे डेल्टा, थीटा, अल्फा, और बीटा – मस्तिष्क की सामान्य और असामान्य गतिविधियों को दर्शाती हैं।
स्लीप डिसऑर्डर्स का अध्ययन:
अनिद्रा (Insomnia), नींद में चलना, और स्लीप एपनिया जैसी समस्याओं का पता लगाने के लिए ईईजी का उपयोग किया जाता है।
मस्तिष्क में चोट या संक्रमण का पता लगाना:
सिर में चोट, मस्तिष्क की सूजन (Encephalitis), और ब्रेन ट्यूमर जैसी स्थितियों का पता ईईजी से लगाया जा सकता है।
कोमा और ब्रेन डेथ का मूल्यांकन:
कोमा में गए मरीजों के मस्तिष्क की कार्यक्षमता को समझने के लिए ईईजी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
EEG के प्रकार
ईईजी परीक्षण को विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जो मरीज की स्थिति और डॉक्टर की सिफारिशों पर निर्भर करता है।
स्टैंडर्ड ईईजी:
यह सबसे सामान्य प्रकार का ईईजी है, जिसमें मस्तिष्क की गतिविधियों को कुछ मिनटों या घंटों तक रिकॉर्ड किया जाता है।
वीडियो ईईजी:
इस प्रक्रिया में ईईजी रिकॉर्डिंग के साथ-साथ मरीज के व्यवहार का वीडियो भी रिकॉर्ड किया जाता है।
यह मिर्गी और दौरे के प्रकारों को बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है।
एम्बुलेटरी ईईजी:
यह पोर्टेबल डिवाइस के माध्यम से किया जाता है, जिससे मरीज अपनी सामान्य दिनचर्या करते हुए मस्तिष्क की गतिविधियों को रिकॉर्ड कर सकता है।
स्लीप ईईजी:
यह परीक्षण मरीज की नींद के दौरान मस्तिष्क की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है।
EEG से जुड़ी सावधानियां
ईईजी एक सुरक्षित और दर्दरहित प्रक्रिया है, लेकिन इसके दौरान कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं:
बालों में किसी प्रकार का तेल, क्रीम, या स्प्रे न लगाएं, ताकि इलेक्ट्रोड आसानी से काम कर सकें।
कैफीन का सेवन परीक्षण से 12 घंटे पहले बंद कर दें।
डॉक्टर को अपनी सभी दवाओं और स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में जानकारी दें।
EEG के लाभ
ईईजी एक प्रभावी उपकरण है, जिसके माध्यम से डॉक्टर मस्तिष्क की गहराई से जांच कर सकते हैं। इसके कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
मस्तिष्क की गतिविधियों का सटीक और विस्तृत अध्ययन।
त्वरित और दर्दरहित प्रक्रिया।
न्यूरोलॉजिकल विकारों का शीघ्र निदान।
मिर्गी के मरीजों के लिए उपचार योजना बनाने में मदद।
EEG के सीमित क्षेत्र
हालांकि ईईजी एक उपयोगी परीक्षण है, लेकिन इसके कुछ सीमाएं भी हैं:
यह मस्तिष्क की संरचनात्मक समस्याओं (जैसे ट्यूमर या ब्लीडिंग) का पता नहीं लगा सकता।
कभी-कभी संकेतों की व्याख्या करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
अन्य इमेजिंग तकनीकों (जैसे एमआरआई या सीटी स्कैन) के साथ इसे मिलाकर उपयोग करना आवश्यक हो सकता है।
निष्कर्ष
ईईजी एक अनमोल उपकरण है, जो मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियों का अध्ययन करके विभिन्न तंत्रिका संबंधी समस्याओं का निदान और उपचार करने में मदद करता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित और दर्दरहित है, जिससे मरीजों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं होती। अगर आपको मिर्गी, सिरदर्द, स्लीप डिसऑर्डर्स, या अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं की संभावना हो, तो डॉक्टर से परामर्श लेकर ईईजी परीक्षण कराना उचित रहेगा।
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