POSH का फुल फॉर्म Prevention of Sexual Harassment है। आज के समय में महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में समान अधिकार और अवसर प्राप्त हैं, फिर भी कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न एक गंभीर समस्या बनी हुई है।
इस मुद्दे को गंभीरता से लिया गया और इसे समाप्त करने के लिए भारतीय सरकार ने साल 2013 में प्रिवेंशन ऑफ़ सेक्सुअल हैरेसमेंट ऐट वर्कप्लेस (POSH) एक्ट को लागू किया। यह कानून महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से बचाने के उद्देश्य से बनाया गया था और इसके माध्यम से एक सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है।
यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) क्या है?
किसी महिला के साथ कार्यस्थल पर शारीरिक, मानसिक या यौन तरीके से उत्पीड़न किया जाए तो उसे यौन उत्पीड़न कहा जाता है। इसमें मौखिक या शारीरिक रूप से असम्मानजनक टिप्पणियाँ, छेड़छाड़, किसी महिला के साथ अनचाही शारीरिक नजदीकी या यौन उद्देश्य से किए गए व्यवहार शामिल हो सकते हैं। यह न केवल महिला की मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है बल्कि कार्यस्थल के वातावरण को भी विषाक्त बना देता है।
POSH एक्ट का उद्देश्य
POSH एक्ट का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और निष्पक्ष कार्यस्थल सुनिश्चित करना है। इस कानून के तहत, हर कार्यस्थल को यौन उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने और उसे सही तरीके से निपटने के लिए एक प्रणाली स्थापित करनी होती है।
इस एक्ट के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:
कार्यस्थल पर महिलाओं का सुरक्षा सुनिश्चित करना - महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए एक संरचित प्रणाली का निर्माण करना।
कानूनी उपाय और निवारक कदम - यौन उत्पीड़न के मामलों में त्वरित और प्रभावी कानूनी उपायों की प्रक्रिया तैयार करना।
महिलाओं को जागरूक करना - महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देना ताकि वे उत्पीड़न के मामलों में आवाज उठा सकें।
समानता और सम्मान का संवर्धन - कार्यस्थल पर हर व्यक्ति को समान अधिकार और सम्मान मिल सके, इससे कार्यस्थल का माहौल स्वस्थ और प्रोत्साहक बना रहता है।
POSH एक्ट की प्रमुख बातें
आंतरिक शिकायत समिति (ICC):
इस एक्ट के तहत हर कार्यस्थल पर एक आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee) बनाना अनिवार्य है। यह समिति महिलाओं के यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच और समाधान करती है।
समिति का गठन:
इस समिति में कम से कम तीन सदस्य होते हैं, जिनमें से एक महिला सदस्य और एक बाहरी सदस्य (जो कार्यस्थल से बाहर का हो) होना चाहिए। समिति का काम न केवल शिकायतों का समाधान करना है, बल्कि उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करना है।
शिकायत का दायरा:
यौन उत्पीड़न का मामला सीधे तौर पर उस व्यक्ति के खिलाफ दर्ज किया जा सकता है जो उत्पीड़न का दोषी हो। इसके अलावा, यदि शिकायतकर्ता को लगता है कि मामले में कोई पक्षपाती या अनुचित कार्रवाई हो रही है, तो वह उच्च अधिकारियों या सरकार से भी सहायता ले सकता है।
समय सीमा:
इस कानून के तहत यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच 90 दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए। इसके अलावा, शिकायतकर्ता को किसी प्रकार का शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न नहीं झेलना पड़ता है, क्योंकि यह सुनिश्चित किया जाता है कि उसकी शिकायत पर पूरी संवेदनशीलता के साथ ध्यान दिया जाए।
कानूनी परिणाम:
यदि किसी कर्मचारी द्वारा यौन उत्पीड़न किया जाता है और वह दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है, जिसमें निलंबन, स्थानांतरण या नौकरी से बर्खास्तगी जैसी सजा शामिल हो सकती है।
POSH एक्ट की प्रभावशीलता
इस कानून के लागू होने के बाद कार्यस्थल पर महिलाओं के अधिकारों की रक्षा में एक मजबूत कदम बढ़ाया गया है। हालांकि, कार्यस्थलों पर इसके प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता है। कई बार महिलाओं को डर होता है कि वे उत्पीड़न की शिकायत करें तो उनके करियर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, या उन्हें परेशान किया जाएगा। इसलिए, इस एक्ट के तहत जागरूकता और संवेदनशीलता का स्तर बढ़ाने की आवश्यकता है।
कार्यस्थल पर सकारात्मक बदलाव की दिशा में कदम
जागरूकता और प्रशिक्षण:
कंपनियों को नियमित रूप से अपने कर्मचारियों को यौन उत्पीड़न से संबंधित जागरूकता कार्यक्रमों का हिस्सा बनाना चाहिए। इसके अलावा, उन्हें POSH एक्ट और महिलाओं के अधिकारों के बारे में प्रशिक्षण भी देना चाहिए।
संवेदनशील कार्य वातावरण:
एक सकारात्मक और सम्मानजनक कार्य वातावरण बनाने के लिए सभी कर्मचारियों को समान अधिकार और अवसर दिए जाने चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी महिला बिना डर के अपना काम कर सके।
नैतिक नेतृत्व: कार्यस्थल के प्रबंधन को नैतिक नेतृत्व दिखाने की आवश्यकता है। जब शीर्ष अधिकारी इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगे, तो यह पूरे संगठन में एक सकारात्मक संदेश भेजेगा।
निष्कर्ष
प्रिवेंशन ऑफ़ सेक्सुअल हैरेसमेंट ऐट वर्कप्लेस एक्ट ने कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह एक्ट महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और उनके खिलाफ उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए कारगर साबित हो रहा है। हालांकि, इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए जागरूकता, संवेदनशीलता और सख्त निगरानी की आवश्यकता है, ताकि कार्यस्थल पर हर महिला सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर सके।
सभी कार्यस्थलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके पास एक मजबूत POSH नीति हो, ताकि हर कर्मचारी को समान और सुरक्षित अवसर मिल सकें।
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