सीपीआई का फुल फॉर्म क्या होता है | What is the full form of CPI in hindi


सीपीआई का फुल फॉर्म क्या होता है | What is the full form of CPI in hindi 


सीपीआई का फुल फॉर्म कन्जूमर प्राइस इन्डेक्स है।
सीपीआई जिसे हिन्दी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक कहा जाता है, अर्थव्यवस्था में खुदरा मुद्रास्फीति को मापने वाला एक सूचकांक है। कन्जूमर द्वारा उपयोग किए जाने वाली अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की मूल्यों में परिवर्तन की गणना करता है। वस्तुओं और सेवाओं का यह मानक समूह एक औसत शहरी उपभोक्ता द्वारा क्रय की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं  का समूह होता है। 

CPI का full form क्या होता है?
CPI का full form CONSUMER PRICE INDEX होता है।


CPI कैसे मापा जाता है?
CPI को मापने के लिए सरकार और सांख्यिकीय एजेंसियां कई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों का डेटा एकत्र करती हैं और इसे एक सूचकांक के रूप में प्रस्तुत करती हैं। इसे निम्नलिखित चरणों में मापा जाता है:
1. वस्तुओं और सेवाओं की टोकरी (Basket of Goods and Services)
CPI को मापने के लिए सरकार विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की एक टोकरी तैयार करती है, जिसमें शामिल होती हैं:
खाद्य पदार्थ (जैसे दाल, चावल, गेहूं, दूध, सब्जियाँ)
आवास
कपड़े
परिवहन
स्वास्थ्य सेवाएँ
शिक्षा सेवाएँ
मनोरंजन सेवाएँ आदि।
2. आधार वर्ष (Base Year) का निर्धारण
CPI की गणना के लिए एक आधार वर्ष चुना जाता है, जिसके मुकाबले कीमतों के उतार-चढ़ाव को मापा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी वस्तु की कीमत 2015 में 100 रुपये थी और 2025 में वही वस्तु 150 रुपये में बिक रही है, तो इसका CPI बढ़ गया है।
3. भार निर्धारण (Weightage Assignment)
हर वस्तु और सेवा को अलग-अलग भार (Weight) दिया जाता है, जो यह दर्शाता है कि वह उपभोक्ताओं के खर्च में कितनी महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, खाद्य पदार्थों का भार अधिक हो सकता है क्योंकि लोग अपने खर्च का बड़ा हिस्सा खाने-पीने की चीजों पर खर्च करते हैं।
4. मूल्य संग्रह (Price Collection)
सरकार नियमित रूप से विभिन्न बाजारों और स्थानों से वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों का डेटा एकत्र करती है।
5. CPI सूत्र द्वारा गणना
CPI की गणना निम्नलिखित सूत्र द्वारा की जाती है:
CPI=(वर्तमान वर्ष की कीमतों का योगआधार वर्ष की कीमतों का योग)×100\text{CPI} = \left( \frac{\text{वर्तमान वर्ष की कीमतों का योग}}{\text{आधार वर्ष की कीमतों का योग}} \right) \times 100
उदाहरण: यदि 2025 में वस्तुओं की कीमतों का कुल योग 500 रुपये है और 2015 (आधार वर्ष) में वही वस्तुएँ 400 रुपये की थीं, तो:
CPI=(500400)×100=125\text{CPI} = \left( \frac{500}{400} \right) \times 100 = 125
इसका अर्थ है कि महंगाई 25% बढ़ चुकी है।

CPI के प्रकार
भारत में मुख्य रूप से चार प्रकार के CPI होते हैं:
ग्रामीण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-Rural): ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बदलाव को मापता है।
शहरी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-Urban): शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को दर्शाता है।
संयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-Combined): ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के CPI का औसत होता है।
औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW): औद्योगिक श्रमिकों के जीवन-यापन की लागत में बदलाव को दर्शाता है।

CPI का महत्त्व
CPI का महत्त्व कई क्षेत्रों में देखने को मिलता है:
महंगाई दर को मापने के लिए: यह बताता है कि वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें कितनी बढ़ रही हैं।
मुद्रास्फीति नियंत्रण के लिए: सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) CPI के आधार पर मौद्रिक नीति बनाते हैं।
वेतन और पेंशन निर्धारण में: सरकार और कंपनियाँ वेतन और पेंशन बढ़ाने के लिए CPI का उपयोग करती हैं।
आर्थिक नीतियों के लिए: सरकार आर्थिक नीतियाँ बनाने के लिए CPI के आँकड़ों का उपयोग करती है।

CPI और मुद्रास्फीति का संबंध
CPI और मुद्रास्फीति (Inflation) का आपस में गहरा संबंध है। जब CPI बढ़ता है, तो इसका मतलब होता है कि वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ रही हैं, यानी महंगाई बढ़ रही है। अगर CPI घटता है, तो महंगाई कम हो रही है। RBI अपनी मौद्रिक नीतियों को CPI को ध्यान में रखकर ही बनाता है।

CPI को प्रभावित करने वाले कारक
CPI को कई कारक प्रभावित करते हैं:
कच्चे माल की कीमतें
मांग और आपूर्ति
सरकारी नीतियाँ
वैश्विक घटनाएँ (जैसे युद्ध, महामारी)
ब्याज दरें

CPI FULL FORM = CONSUMER PRICE INDEX


सीपीआई मजदूरी, वेतन, पेंशन के वास्तविक मूल्य और देश की मुद्रा की क्रय शक्ति को समझने में भी एक सहायक सूचक है। भारतीय रिज़र्व बैंक और अन्य सांख्यिकीय एजेंसियां ​​सीपीआई का विश्लेषण करती हैं ताकि विभिन्न वस्तुओं के मूल्य परिवर्तन को समझ सकें और मुद्रास्फीति पर नजर रख सकें।  

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